आत्मा निवास
"आत्मा निवास"
पब्लिकेशन-राज कॉमिक्स
मूल्य-? संख्या-2337
पेज-48 वर्ष-?
परिकल्पना-संजय गुप्ता,विवेक मोहन,लेखक-तरुण कुमार वाही,चित्रांकन-अनुपम सिन्हा,पेंसिल फिनिशिंग-मोहम्मद इरशाद,इफेक्ट्स-कैलाश सिंह,प्रियम सिंह,डिजिटल कैलीग्राफी-अमित कठेरिया
सीरीज-आत्मा निवास,भूत किसमें
नमस्कार मित्रों,
आज बात करने जा रहा हु राज कॉमिक्स की एक जबरदस्त कॉमिक्स "आत्मा निवास" के बारे में.दो भागों में बनी ये कॉमिक्स थ्रिल हॉरर सस्पेंस पे आधारित है.प्रत्येक भाग 48 पेज का है और इसके लिए डिमांड की थी मित्र "रविंद्र गुप्ता" और "दीपक श्रीवास्तव" जी ने.ये कॉमिक्स राज कॉमिक्स की उन चुनिंदा हॉरर कॉमिक्स में से है जो ग्लॉसी पेपर में आई थी और जिनके आर्टवर्क और जबरदस्त स्टोरी ने थ्रिल हॉरर सीरीज में एक नई जान फूंकने का काम किया था.अगर आप अब तक इस सीरीज के बारे में नहीं जानते हैँ तो एक बार जरूर पढ़ें.
कहानी शुरू होती है बैंक डकैती के बाद ढाबा NH-54 पे रुके बदमाशों से जिनके पीछे पुलिस लगी हुई है.उनका पीछा कर रहा "इंस्पेक्टर हरीश" खुद को गोली मार लेता है और सारे बदमाश भी रहस्यमय तरीके से एक-एक करके मारे जाते हैँ.दूसरी तरफ उसी ढाबे पे पहुँचती है फूटबाल टीम जिसके खिलाडी ढाबे पे रुकने के बाद प्रैक्टिस के लिए "नेहरू स्टेडियम" निकल पड़ते हैँ.स्टेडियम में उनका सामना होता है "भूत टीम" से जिनसे जीता हुआ गोल उनकी ज़िन्दगी बचाएगा और हारा हुआ गोल किसी एक खिलाडी को मौत के मुँह में पहुंचाएगा.फिर क्या हुआ?क्या वो लोग "भूत टीम" से होने वाला मैच जीत पाए?"इंस्पेक्टर हरीश" और बैंक लूटने वाले बदमाश कैसे मारे गए?क्या ढाबा NH-54 शापित था?क्या पुलिस इस हत्याकांड का पर्दाफाश कर पायी?जानना है तो आपको ये बढ़िया कॉमिक्स सीरीज पढ़नी होगी.
कहानी लिखी है "तरुण" सर ने और इसकी परिकल्पना है "संजय" सर और "विवेक" सर की.कहानी इतनी जबरदस्त बनी है कि इसे रात में नहीं पढ़ा जा सकता.उसमें भी डर बढ़ाने का काम करता है "अनुपम" सर का शानदार चित्रांकन जिसमे सहयोग किया है "इरशाद" जी ने.जिस तरह कहानी शरीर में सिहरन पैदा करती है वैसे ही उसके मुताबिक बनी आर्ट डर का अहसास कराती है.बाकि रही सही कसर "कैलाश" जी और "प्रियम" जी के इफेक्ट्स और "अमित" जी की शानदार कैलीग्राफी पूरा कर देती है.कुल मिलाकर कॉमिक्स बेहद अच्छी है और आपको जरूर पढ़नी चाहिए.
बेस्ट सीन-एक सीन है जिसमे ढाबे पे रुके "हवलदार गोखले" को एक आदमी आकर बताता है कि उसने पास के जंगल में एक आदमी को कुछ दबाते हुए देखा है.तब हवलदार उसके साथ जाकर देखता है कि ज़मीन में उसी आदमी की लाश दबी है जो उसे बुलाने आया था.वो सीन बहुत डरावना लगता है.
क्यों पढ़ें-अगर ग्लॉसी पेज में बनी एक जबरदस्त हॉरर कॉमिक्स पढ़ने की इच्छा रखते हो.
क्यों ना पढ़ें-अगर हीरो बनते हुए इसे रात में पढ़ने का मन बना रहे हो.
रेटिंग-7/10
धन्यवाद
महाकाल की कृपा बनी रहे.
कानपुर वाला अभिषेक🙏😊